आस्था से खिलवाड़: त्रिवेणी घाट पर मिल रहा गंदा पानी, शनिश्चरी अमावस्या पर डुबकी लगाएंगे श्रद्धालु

आस्था से खिलवाड़: त्रिवेणी घाट पर मिल रहा गंदा पानी, शनिश्चरी अमावस्या पर डुबकी लगाएंगे श्रद्धालु

उज्जैन। मोक्षदायिनी शिप्रा नदी की पवित्रता पर फिर सवाल उठ रहे हैं। आगामी शनिश्चरी अमावस्या (23 अगस्त, शनिवार) को हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पर आस्था की डुबकी लगाएंगे, लेकिन घाट पर नाले का गंदा पानी छोड़े जाने से श्रद्धालुओं को गंदे और दूषित जल में स्नान करना पड़ सकता है।

नाले से गंदगी और टूटा कच्चा बांध

इंदौर से आ रहा गंदा पानी रोकने के लिए कान्ह नदी पर बनाया गया कच्चा बांध टूट चुका है। इसके चलते गंदा पानी सीधे शिप्रा में मिल रहा है। इसके अलावा नालों के पाइप से लगातार काला पानी नदी में जा रहा है, जिससे पानी की स्वच्छता पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है।

श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट

धार्मिक मान्यता है कि भगवान महाकाल के दर्शन से पहले शिप्रा स्नान किया जाता है। मगर जिम्मेदार विभागों की अनदेखी से अब यह स्नान श्रद्धालुओं के लिए बीमारी का कारण बन सकता है।

नमामि शिप्रा प्रोजेक्ट अधूरा

नमामि शिप्रा प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपये की योजना से घाट और बैराज का निर्माण किया जा रहा है।

  • नगर निगम ईई संतोष गुप्ता का कहना है कि निगम स्तर से गंदे नालों को रोकने का कोई प्लान नहीं है, संभवत: जल संसाधन विभाग ने इस दिशा में योजना बनाई होगी।

  • वहीं परियोजना प्रशासक मयंक परमार (AKPIU-2) ने बताया कि ₹778.91 करोड़ की योजना में केवल बैराज और घाट निर्माण शामिल है। नालों को डायवर्ट करने का कार्य इसमें नहीं जोड़ा गया है।

स्वास्थ्य पर संकट

त्रिवेणी घाट पर डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं के सामने सबसे बड़ा खतरा बीमारियों का है। दूषित जल में स्नान करने से त्वचा रोग, पेट संबंधी बीमारियाँ और संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती है।


👉 महाकाल नगरी में आस्था और प्रशासनिक लापरवाही के बीच श्रद्धालु असमंजस में हैं। सवाल यह है कि जब करोड़ों की योजनाएँ चल रही हैं, तो शिप्रा में गंदगी रोकने का ठोस इंतज़ाम कब होगा?


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